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महान हाथी
बहुत बहुत समय पहले की बात है | एक घने जंगल में एक महान हाथी रहता था | उसकी लम्बी सूँड़ थी और लम्बे दाँत थे । हाथी बड़ा दयालु और मददगार था । इसलिए जंगल के सभी प्राणी उसे प्यार करते थे । जब कभी वह पास से गुज़रता सभी प्राणी झुककर उसे सलाम करते । यहाँ तक कि जंगल का राजा, शेर भी, उसका आदर करता था । एक दिन व्यापारियों का एक जत्था जंगल में रास्ता भटक गया । वे लोग गोल घूमते रहे ।जैसे ही अंधकार छाने लगा, वे बड़े चिन्तित हुए । थके और भूखे वे एक पेड़ के नीचे बैठ गए । अचानक एक व्यापारी ने थोड़ी दूरी पर एक हाथी को खड़ा हुआ देखा । जो उनकी ओर इशारा कर रहा था । वह दूसरों की ओर मुड़कर बोला - मुझे लगता है हमें उसका पीछा करना चाहिए । क्या फ़रक़ पड़ता है ? तो व्यापारी हाथी के पीछे चले । शीघ्र ही वे जंगल के सीमांत पर पहुँचे थे । थोड़ी दूरी पर उन्होंने किसी शहर की दीवारें देखीं । अब व्यापारियों की ख़ुशी का ठिकाना न रहा । वे हाथी को धन्यवाद देने मुड़े, मगर तब तक वह चला गया था । व्यापारी शहर में गए और राजा से मिले । व्यापारियों ने कहा - हुज़ूर, वहाँ शहर के किनारे, जंगल में सुन्दरतम दाँतोंवाला हाथी है । यदि वह हमारी मदद न करता तो हम जंगल में अब तक भटक रहे होते । राजा ने फिर भी हाथी के उदार स्वभाव के बारे में नहीं सुना । उसने केवल यही सुना कि उसके सुंदरतम दाँत हैं । क्रूर राजा ने सोचा - मैं उस हाथी को मारकर उसके दाँत ले लूँगा । उन्हें मैं अपने महल की दीवारों पर सजाऊंगा । अगले दिन राजा अपने सैनिकों को लेकर हाथी का शिकार करने चल पड़ा । वह जंगल में घूम रहा था और शीघ्र ही एक तालाब के पास आया, जहाँ हाथी पानी में नहा रहा था । राजा ने जब हाथी को देखा तो उसने कहा - वाह ! वह तो एक सुन्दर हाथी है । वह मेरा है । कोई उस पर बाण नहीं चलाएगा । उसने अपना बाण निकाला और उस पर चलाया । बाण हाथी पर सनसनाता हुआ निकल गया । हाथी अब सतर्क हो गया और वह भागने लगा । राजा उसका पीछा करने लगा । हाथी जंगल के भीतर तक भागा और राजा अपने सेवकों से दूर हो गया । हाथी को छिपने के लिए एक जगह मिल गयी और राजा उसे ढूँढ़ने लगा । अचानक वहाँ जोर का छपाका हुआ । राजा दलदल में फँस गया था । हाथी आया और उसने देखा कि राजा अंदर की ओर धँसता जा रहा था । राजा चिल्लाया - बचाओ ! बचाओ ! कोई मुझे बचाओ ! परन्तु उसके सैनिक इतनी दूर थे कि वे यह सुन नहीं सके । हाथी राजा को बचाने भागा । अपनी सूँड़ से उसने राजा को पकड़ा और उसे खींचकर सुरक्षित बाहर निकाला । राजा कृतज्ञ हुआ और शरमिंदा होकर हाथी के पैरों पर गिर पड़ा । महान हाथी ने उसे अपनी पीठ पर बैठाया और उसे वापस शहर ले गया । राजा ने कहा - प्रिय हाथी, मैंने तुम्हें मारना चाहा और तुमने मेरी जान बचायी । तुमने मुझे महानता का सच्चा अर्थ बता दिया । धन्यवाद । हाथी ने राजा को आशीर्वाद दिया और वापस जंगल गया । उसे फिर कभी किसी शिकारी ने तंग नहीं किया ।