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materiali  audiovisivi  con  trascrizione

Intervista a Narendra Modi su ETV (da 00.00 a 02.30)

हरिशंकर व्यास:
नमष्कार (नमस्कार)! मैं हूँ हरिशंकर व्यास, सेन्ट्रल हॉल में आप का स्वागत है।   

मोदीजी व्यस्तता के बावजूद आप ने जो समय दिया उसके लिए मैं बहुत आभारी हूँ। लेकिन मेरा आपसे आग्रह है कि आप खुलकर मन की बात कहें। मेरा मक़सद हैडलाइन बनाना या तिल का ताड़ बनाना नहीं है बल्कि यह जानना है कि आप देश की तक़दीर बनाएँगे तो आखिर कैसे ? क्या है आपकी सोच। और उसी के नाते मेरा पहला सवाल है कि (आप ने) आपका नाम घर-घर पहुँचा है। और उसके घर-घर पहुँचने के साथ में आप ने जो नारा दिया है वह कांग्रेस-मुक्त भारत का था । क्या कांग्रेस-मुक्त भारत के बजाय वह भ्रष्टाचार-मुक्त या बेरोज़गार-मुक्त नहीं होना चाहिए था ?     

मोदी:

ईटीवी के दर्शकों को मेरा नमष्कार (नमस्कार) । आप ने कहा है कि खुलकर(के) बोलूँ । मन से बोलूँ । इस देश में मेरी एक बात में तो पह्चान है कि मोदी जब बोलता है तो खुलकर(के) बोलता है । मन से बोलता है । इतना ही नहीं दिल से बोलता है । तो मैं आपसे जो बात करूँगा दिल से करूँगा । और लोकतंत्र में हम लोगों का दायित्व है कि हमारे और जनता के बीच कोई पर्दा नहीं होना चाहिए । जनता को हम क्या हैं, हम क्या सोचते हैं, हम क्या करते हैं, हम क्यों करते हैं, हम कैसे करते हैं, हम किसके लिए करते हैं, यह सब जानने का जनता को पूरा-पूरा अधिकार है । और इसलिए (मैं) इन बातों में मेरा कोनविंक्शन है । तो इसके लिए मुझे ख़ुशी होती है जब सच बोलना होता है तो ।
दूसरा विषय आप ने पूछा कि मुक्त-भारत, कांग्रेस-मुक्त भारत । मैं जब कांग्रेस-मुक्त भारत की बात करता हूँ तब पिछले साठ साल में कांग्रेस ने राजनीति में जिस कार्य-संस्कृति को पनपाया है । उस कार्य-संस्कृति से मुक्ति की बात करता हूँ ।       

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